Skip to main content


विशेषण

 विशेषण- परिभाषा, भेद और उदहारण: 



संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।



जैसे-

वह मोर सुन्दर है।,


यह आम मिठा है।

इनमें सुन्दर और मिठा विशेषण है।


विशेषण की परिभाषा

विशेषण शब्द वही होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो विशेषण किसी चीज़ के गुण, अवस्था, परिमाण या संबंध को स्पष्ट करते हैं.



उदाहरण के लिए, “लंबा पेड़” वाक्य में “लंबा” शब्द विशेषण है जो “पेड़” की विशेषता बता रहा है कि पेड़ लंबा है. इसी तरह “वह बुद्धिमान लड़का है” में “बुद्धिमान” विशेषण है जो “लड़का” की विशेषता बता रहा है.




विशेषण वे शब्द होते हैं जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता, गुण, मात्रा या स्थिति को बताते हैं। यह संज्ञा या सर्वनाम के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करता है।


उदाहरण:



गुण: सुंदर फूल, लंबा लड़का

मात्रा: पांच किताबें, कुछ लोग


स्थिति: पास का घर, दूर का पहाड़

विशेषण के भेद



विशेषण के भेद

विशेषण के मुख्यत पांच भेद होते हैं।

विशेषण के भेद
1गुणवाचक विशेषण
2परिमाण वाचक विशेषणनिश्चिय परिमाण वाचक
अनिश्चिय परिमाण वाचक
3संख्यावाचक विशेषणअनिश्चित संख्यावाचक
निश्चित संख्यावाचकI. गणनावाचक
II. क्रम वाचक
III. आवृति वाचक
IV. समुह वाचक
4संकेत वाचक विशेषण
5व्यक्ति वाचक विशेषण

1. गुणवाचक विशेषण


संज्ञा या सर्वनाम का गुण, गुणवाचक विशेषण कहलाता है।


जैसे- अच्छा, मीठा, काला, पीला, पतला, सुन्दर, बुरा। वह लड़का अच्छा है।

गुण – स्नेही, प्रेमी, अच्छा, बुद्धिमान, समझदार, धार्मिक, होशियार, कुशल आदि।


दोष – मूर्ख, आलसी, बुरा, दुष्ट, बेईमान, कायर, अभिमानी, धूर्त, घमंडी आदि।

रंग – काला, गोरा, हरा, पीला, नीला, सफ़ेद, भूरा, लाल, गुलाबी आदि।


अवस्था – स्वस्थ, रोगी, दुबला, पतला, गरीब, अमीर, सूखा, गीला आदि।

आकार – लंबा, चौड़ा, गोल, चपटा, चौरस, तिकोना, सीधा, टेढ़ा आदि।


स्थान – देश पश्चिमी, पूर्वी, बंगाली, मद्रासी, नेपाली, चीनी, जापानी आदि।

समय – प्रात:कालीन, साप्ताहिक, वार्षिक, दैनिक, प्राचीन, आगामी आदि।


स्वाद – गंध मीठा, फीका, खट्टा, तीखा, सुगंधित, बदबूदार, सुवासित आदि।

स्पर्श – कठोर, चिकना, मुलायम, खुरदरा, कोमल आदि।


ध्वनि – कर्कश, तीव्र, मंद, मधुर, सुरीली आदि।

उपर्युक्त सभी शब्द विशेषण हैं। यहाँ ये शब्द पहचान के लिए दिए गए हैं। अब प्रयोग देखें –



(1) समीर साहसी बालक है।

(2) श्वेता समझदार लड़की है।


(3) अंगुलिमाल क्रूर डाकू था।

(4) दुबला लड़का चला गया।


(5) मुंजाल भाई का शरीर सुडौल है।

(6) इब्राहिम गार्दी देशभक्त था।


(7) नचिकेता चतुर बालक था।

(8) भारत के झंडे में केसरी, सफ़ेद और हरा रंग है।


2. परिमाण वाचक Visheshan

संज्ञा या सर्वनाम का माप तौल।



(क) निश्चित परिमाण-लीटर, मीटर, किलोग्राम, टन, तौला।


जैसे- एक लीटर दुध ।



(i) मुझे पाँच मीटर कपड़ा चाहिए।

(ii) ग्वाला दस लीटर दूध लाया।


(iii) दो किलो आम दे दो।

(iv) उसने कल एक सेर लड्डू बाँटे।


(ख) अनिश्चित परिमाण -कम, ज्यादा, थोड़ा, बहुत, अधिक।


जैसे- थौड़ी सी चिनी।



(i) मुझे थोड़ा दूध देना।

(ii) उसने कई मीटर कपड़ा दान दे दिया।


(iii) घर में बहुत अनाज है।

(iv) पूजा के लिए कई लीटर दूध चाहिए।


3.संख्या वाचक विशेषण

संज्ञा या सर्वनाम की संख्या।



(क) अनिश्चित संख्या-कम, ज्यादा, थोड़ा, बहुत, अधिक, सारे।


जैसे –



कुछ घर कच्चे हैं।

कक्षा में कुछ लड़के बैठे हैं।


कल आँधी में कई पेड़ उखड़ गए।

मेरे पास बहुत टाफ़ियाँ हैं।


नौचंदी मेले में कम लोग आए।

(ख) निश्चित संख्या-



(i) गणना वाचक – एक, दो तीन। तीन लोग बातें कर रहे थे।

(ii) क्रम वाचक- पहला, दुसरा, तीसरा। दुसरा लड़का अच्छा है।


(iii) आवृति वाचक-दुगना, तिगुना, इकहरा, दोहरा। घी दुगना है।

(iv) समुह वाचक – दोनों, पांचों, सातों।


अब प्रयोग देखें –


मेरे चार मित्र हैं।


व्यापार में मुझे चौगुना लाभ हुआ।

मेरा घर दसवीं मंज़िल पर है।


उसने सरलता से सातों समुद्र पार कर लिए।

अनिश्चित संख्यावाचक और परिमाणवाचक Visheshan में अंतर


संख्यावाचक विशेषण ऐसी वस्तुओं के लिए प्रयुक्त होते हैं जो गणनीय होती हैं; जैसे-लोग, बच्चे, पेड़, कुरसियाँ, खिलौने आदि। परिमाणवाचक विशेषण उन वस्तुओं के लिए प्रयुक्त होते हैं जो अगणनीय हैं या गिनी नहीं जा सकतीं; जैसे-दूध, दाल, गेहूँ, तेल, पानी आदि।


उदाहरण



उसने कुछ फूल तोड़े। (संख्यावाचक)

माँ ने काफ़ी लोगों को बुलाया। (संख्यावाचक)


राम ने दोनों पेड़ कटवा दिए। (संख्यावाचक)

उसने तीन किलो चावल खरीदे। (परिमाणवाचक)


माँ ने पाँच लीटर दूध खरीदा है। (परिमाणवाचक)

दादा जी ने बहुत अनाज खरीदा। (परिमाणवाचक)


4.सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण

संज्ञा व सर्वनाम की ओर संकेत करने वाले शब्द संकेत वाचक विशेषण कहलाते हैं।



सर्वनाम शब्दों का प्रयोग जब किसी संज्ञा के लिए या किसी अन्य सर्वनाम के लिए किया जाये तो उन्हें संकेत वाचक विशेषण कहते हैं। सर्वनाम शब्दों से विशेषण बनने के कारण संकेतवाचक विशेषण को सार्वनामिक विशेषण भी कहा जाता है।


जैसे –



वे लोग क्या कर रहे हैं?

इस विद्यार्थी ने काम नहीं किया है।


यह घर मेरा नहीं है।

ऐसे-वैसे छात्रों से मैं बात नहीं करता।


सर्वनाम एवं सार्वनामिक Visheshan में अंतर

सर्वनाम किसी संज्ञा शब्द के लिए या संज्ञा के स्थान पर आता है जबकि सार्वनामिक विशेषण संज्ञा शब्द से पहले आकर संज्ञा की ओर संकेत करता है; जैसे – यह कार मेरी है।



इस वाक्य में यह शब्द कार की ओर संकेत कर रहा है। ‘कार’ संज्ञा है अत: ‘यह’ सार्वनामिक विशेषण हो जाएगा।


मयंक मुझसे नाराज़ है। वह मुझसे नहीं बोलेगा।



इस वाक्य में वह शब्द मयंक के स्थान पर या मयंक के लिए आया है, अतः सर्वनाम कहलाएगा।


कुछ अन्य उदाहरण देखिए –



वह खेलता है। (सर्वनाम)

किसी ने पुकारा। (सर्वनाम)


कोई यहाँ रहता है। (सर्वनाम)

वे सोते हैं। (सर्वनाम)


वह बालक खेलता है। (सार्वनामिक विशेषण)

किसी बालक को पुकारा। (सार्वनामिक विशेषण)


कोई छात्र यहाँ रहता है। (सार्वनामिक विशेषण)

वे युवक सोते हैं। (सार्वनामिक विशेषण)


5. व्यक्ति वाचक विशेषण

व्यक्ति वाचक संज्ञा शब्दों को जब प्रत्यय आदि जोड़कर विशेषण के रूप में प्रयुक्त किया जाता है तो उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहा जाता है। जैसे- जयपुरी पगड़ी, जापानी मशीन



विभाव वाचक

कुछ विद्वान विशेषण का एक ओर भेद बतलाते हैं। जैसे- प्रत्येक, हर एक। उदाहरण-प्रत्येक बालक।



विशेष्य

किसी वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं| किसी भी वाक्य में विशेषण जिन संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताता है उस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द को विशेष्य कहते हैं|



विशेष्य के उदाहरण –

चाय ज़्यादा मीठी है।


शंकरन पढ़ा लिखा इंसान है।

राधा सुंदर है।


कमलेश एक ईमानदार नेता है।

विशाल भ्रष्ट अफसर है।


विशेष्य और Visheshan में अंतर

विशेष्य और विशेषण में यह अंतर होता है की संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं जबकि विशेषण जिसकी विशेषता बताता है उसे विशेष्य कहते हैं. अतः किसी वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द ही विशेष्य होता है.



प्रविशेषण

विशेषण शब्दों की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते हैं।



जैसे- मैंने बहुत सुन्दर पक्षी देखा।


में सुन्दर विशेषण है जो पक्षी की विशेषता प्रकट कर रहा है तथा बहुत प्रविशेषण है जो विशेषण शब्द सुन्दर की विशेषता प्रकट कर रहा है।



जैसे –


राम बड़ा परिश्रमी है।


अर्जुन बहुत वीर था।

रोगी बिलकुल ठीक है।

गहरा हरा रंग मुझे अच्छा लगता है।

 अत्यंत स्वादिष्ट है।

ऋषभ थोड़ा कमज़ोर है।

इन वाक्यों में ‘बड़ा’, ‘बहुत’, ‘बिलकुल’, ‘गहरा’, ‘अत्यंत’ और ‘थोड़ा’ क्रमश: ‘परिश्रमी’, ‘वीर’, ‘ठीक’, ‘हरा’, ‘स्वादिष्ट’ तथा ‘कमजोर’ विशेषणों की विशेषता बता रहे हैं। अतः ये सभी प्रविशेषण हैं।



प्रविशेषण और विशेष्य में अंतर

प्रविशेषण और विशेष्य में यह अंतर होता है की प्रविशेषण किसी विशेषण की विशेषता बताता है जबकि किसी वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द को ही विशेष्य कहते हैं। विशेष्य की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण तथा विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्द को प्रविशेषण कहते हैं।



Visheshan की अवस्थाएं-

मूलावस्था- सुन्दर (सुन्दर)


जैसे  –


सुरेश कुशल कारीगर है।


रजनी अच्छी लड़की है।

सलमान गोरा है।


उत्तरावस्था- सुन्दरतर (उससे सुन्दर, यह तुलनात्मक अवस्था है।)

उत्तमावस्था- सुन्दरत्तम (सबसे सुन्दर)


उदाहरण- मोहन बहुत ज्यादा काला है वाक्य में कौनसी अवस्था है।


मुलावस्था क्योंकि यहां मोहन की तुलना किसी और से नहीं कि गई है और न ही मोहन को सबसे काला बताया गया है।



प्रयोग के अनुसार Visheshan के दो भेद होते हैं।

1.उद्देश्य विशेषण- विशेष्य से पहले वाला विशेषण को उद्देश्य विशेषण कहा जाता है।



विधेय विशेषण- विशेष्य से बाद वाले विशेषण को विधेय विशेषण कहा जाता है।

तथ्य – विशेषण(उद्देश्य)- विशेष्य – विशेषण (विधेय)



उदाहरण- वह बालक सुन्दर है।में वह उद्देश्य है जो बालक कि ओर संकेत कर रहा है अतः यह संकेत वाचक विशेषण है तथा सुन्दर विधेय है जो बालक का गुण बता रहा है।









📌इस पेज पर कोई भी त्रुटि नज़र आए तो हमें सूचित करने का कष्ट करें email: vivadial.in.net@gmail.com, Student Updates के लिए YouTube Channel (ArtOfArjuna 1.7k +) को Subscribe करें