जयपुर जिला दर्शन - जयपुर जिले की सम्पूर्ण जानकारी
जयपुर जिले का सामान्य परिचय जयपुर नगर का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 18 नवंबर 1727 को विख्यात बंगाली वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य के निर्देशन में 90 डिग्री कोण सिद्धांत पर करवाया था
प्रिंस अल्बर्ट एडवर्ड (सम्राट एडवर्ड सप्तम) के जयपुर आगमन पर जयपुर नरेश सवाई रामसिंह द्वितीय ने जयपुर को 1863 ईस्वी में गुलाबी रंग से रंगवाया था इसीलिए जयपुर का नाम गुलाबी नगरी (पिंक सिटी) पड़ा
नोट : जयपुर जिले का पुनर्गठन कर दूदू, कोटपुतली - बहरोड व जयपुर ग्रामीण जिले बने 7 अगस्त 2023 को
जयपुर जिले के उपनाम/प्राचीन नाम : सिटी ऑफ आइसलैंड, गुलाबी नगर, पिंक सिटी, रंग श्री द्वीप, राजस्थान की राजधानी, पूर्व का पेरिस, हेरीटेज सिटी, वैभव द्वीप, पन्ना नगरी, दूसरा वृंदावन, रत्न नगरी, भारत का पेरिस
जयपुर की अक्षांशीय स्थिति : 26 डिग्री 23 मिनट उत्तरी अक्षांश से 27 डिग्री का 51 मिनट उत्तरी अक्षांश तक
जयपुर की देशांतरीय स्थिति : 74 डिग्री 55 मिनट पूर्वी देशांतर से 76 डिग्री 50 मिनट पूर्वी देशांतर तक।
जयपुर जिले के प्रमुख मेले एवं त्यौहार
बाणगंगा मेला : यह मेला जयपुर के विराटनगर में वैशाख पूर्णिमा को भरता है। तीज की सवारी मेला : यह मेला जयपुर में श्रावण शुक्ल तृतीया को भरता है। गणगौर मेला : यह मेला जयपुर में चैत्र शुक्ला तीज एवं चौथ को भरता है। शीतला माता का मेला : यह मेला चाकसू जयपुर में चैत्र कृष्ण अष्टमी को भरता है। गधों का मेला : यह मेला जयपुर के सांगानेर क्षेत्र में आश्विन कृष्ण सप्तमी से आश्विन कृष्ण एकादशी तक भरता है।
बाणगंगा मेला : यह मेला जयपुर के विराटनगर में वैशाख पूर्णिमा को भरता है।
तीज की सवारी मेला : यह मेला जयपुर में श्रावण शुक्ल तृतीया को भरता है।
गणगौर मेला : यह मेला जयपुर में चैत्र शुक्ला तीज एवं चौथ को भरता है।
शीतला माता का मेला : यह मेला चाकसू जयपुर में चैत्र कृष्ण अष्टमी को भरता है।
गधों का मेला : यह मेला जयपुर के सांगानेर क्षेत्र में आश्विन कृष्ण सप्तमी से आश्विन कृष्ण एकादशी तक भरता है।