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Showing posts from September, 2017

सरस्वती वंदना(छंद)

सरस्वती वंदना जैन मुनि दयासुरि जी विरचित       छंद सारसी बुधि विमल करणी, विबुध वारणी,रूप रमणी, निरखई| वर दियण बाला, पद प्रवाला, मंत्र माला हरखई| थिर थान थंभा, अति अचंभा, रूप रंभा, भलकती| जय जय भवानी, जगत जाणी, राज राणी , सुरसती||१ सुरराज सेवित, देख  देवत, पदम पेखत आसणं| सुख दाय सुरत, मा…

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