सरस्वती वंदना जैन मुनि दयासुरि जी विरचित छंद सारसी बुधि विमल करणी, विबुध वारणी,रूप रमणी, निरखई| वर दियण बाला, पद प्रवाला, मंत्र माला हरखई| थिर थान थंभा, अति अचंभा, रूप रंभा, भलकती| जय जय भवानी, जगत जाणी, राज राणी , सुरसती||१ सुरराज सेवित, देख देवत, पदम पेखत आसणं| सुख दाय सुरत, मा…